प्राकृतिक शहद

भारत में शहद और मधुमक्खी पालन का इतिहास बहुत पुराना है। शहद प्राचीन भारतीयों द्वारा चखा जाने वाला पहला मीठा भोजन था, जो चट्टानों और जंगलों में रहते थे। मधुमक्खी पालन उद्योग के लिए कच्चा माल मुख्य रूप से पराग और अमृत है, जो फूलों के पौधों से प्राप्त होता है। भारत में प्राकृतिक और खेती की जाने वाली वनस्पति दोनों ही मधुमक्खी पालन के विकास के लिए अपार संभावनाएँ प्रदान करती हैं। लगभग 500 फूलदार पौधों की प्रजातियाँ, जंगली और खेती की जाने वाली दोनों ही, अमृत और पराग के प्रमुख या छोटे स्रोतों के रूप में उपयोगी हैं। MoAFW-2023 के अनुसार, भारत का कुल शहद उत्पादन 142 हज़ार मीट्रिक टन था।

किस्में:
रेपसीड/सरसों का शहद, नीलगिरी का शहद, लीची का शहद, सूरजमुखी का शहद, करंज/पोंगमिया शहद, मल्टी-फ़्लोरा हिमालयन शहद, बबूल का शहद, जंगली वनस्पति का शहद, मल्टी और मोनो फ़्लोरल शहद प्राकृतिक शहद की कुछ प्रमुख किस्में हैं।

उत्पादन के क्षेत्र:
उत्तर प्रदेश (17%), पश्चिम बंगाल (16%), पंजाब (14%), बिहार (12%) और राजस्थान (9%) (स्रोत: MoAFW)

भारत के तथ्य और आंकड़े:
देश ने वर्ष 2023-24 के दौरान दुनिया को प्राकृतिक शहद का निर्यात किया है, जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दिखाया गया है।

 वित्त वर्ष 2024 में निर्यात मात्रा (मीट्रिक टन)वित्त वर्ष 2024 में निर्यात किया गया (मिलियन अमेरिकी डॉलर)
प्राकृतिक शहद107963.21177.52

प्रमुख निर्यात गंतव्य (2023-24): यू.एस.ए., यू.ए.ई., सऊदी अरब, कतर और लीबिया। (स्रोत: डी.जी.सी.आई.एंड.एस.)